BA Semester-2 Ancient Indian History and Culture - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. काच के विषय में सक्षेप में लिखिए।

उत्तर-

काचगुप्त

समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति के रचयिता हरिवेण ने चन्द्रगुप्त (प्रथम) के राज्य त्याग का मार्मिक वर्णन किया है। उसने लिखा है कि भरी सभा में चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने बेटे समुद्रगुप्त को गले लगाया। वह भावातिरेक से भरा था और रोमांचित हो रहा था, उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे। उसने अपने बेटे से कहा "तुम योग्य हो, पृथ्वी पर राज्य करो। आगे हरिवेण ने लिखा है कि सभ्य जनों ने उसकी घोषणा का स्वागत किया किन्तु तुल्य कुलज लोगों (अर्थात् भाइयों) ने विजयी समुद्रगुप्त को दुःखी भाव से देखा, उसके हृदय में द्वेष उमड़ रहा था।

कवि का कथन हो सकता है कि अतिरंजित हो, तथापि इतना तो है ही कि चन्द्रगुप्त का राज्य परित्याग और समुद्रगुप्त का राजतिलक किसी गम्भीर वातावरण और विशेष अवस्था में हुआ था। यह बात राजकीय घोषणा पर सभ्यों और तुल्य कुलजों की परस्पर विरोधी प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है। इसका भाव यह है कि अन्य राजकुमार भी गद्दी की ओर दृष्टि लगाये हुए थे और उनके उत्तराधिकार के दावों से प्रजा में उत्तेजना थी और सम्भवतः राजनीतिक जीवन भी अव्यवस्थित हो रहा था। वर्तमान तथा भावी संकटों का अन्त करने के लिए राजा ने सबकी उपस्थिति में समुद्रगुप्त को राजगद्दी सौंप दी। राज्य के प्रमुख अधिकारी हरिवेण ने बहुत दिन बीत जाने के बाद जब प्रतिद्वन्द्वी राजकुमार के दुःख पर बल देते हुए इस घटना का उल्लेख किया तो इसका स्पष्ट अर्थ यही निकलता है कि उक्त घटना महत्वपूर्ण रही होगी। इस प्रकार वह महत्वपूर्ण परिणामों से भरी ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत करता जान पड़ता है।

अस्तु ऐसा समझा जाता है कि समुद्रगुप्त के भाइयों ने उसके विरुद्ध विद्रोह किया था। उक्त प्रशस्ति में तीन श्लोक आगे अंश में है वह अंश गल गया है, घर अनुमान किया जा सकता है कि उसमें इस विद्रोह की चर्चा थी। प्रसंग समुद्रगुप्त के किसी युद्ध का है कहा गया है उसने उसे अपने बाहुबल से जीता। इस युद्ध का उल्लेख उसके आर्यावर्त के अभियान से पहले है, इससे ऐसा जान पड़ता है कि उसने अपने राज्य के प्रारम्भिक दिनों में ही गृह कलह का शमन किया था। सम्भवतः समुद्रगुप्त के भाइयों ने उसके विरुद्ध एक होकर अपने में से किसी को उसके स्थान पर राजा बनाने की योजना की थी। हेरास का अनुमान है कि वह विद्रोही भाई काच था, जिसका परिचय उसके सिक्कों से मिलता है।

इतिहासकारों के एक वर्ग का कहना है कि काच नाम युक्त सिक्के समुद्रगुप्त के हैं और काच उसका ही अपर नाम था। उनके तर्क हैं-

1. काच के सिक्कों पर नमुद्रगुप्त के व्याघ्र- निहन्सा अश्वमेघ भांति के सिक्कों से बहुत समानता रखता है।

किन्तु काच के सिक्कों और समुद्रगुप्त के उपर्युक्त दोनों भांति के सिक्कों पर देवी की स्थिति भंगिमा में सादृश्य अवश्य है, पर दृष्टव्य यह है कि समुद्रगुप्त के सिक्कों में भारतीयता अधिक झलकती है काच के सिक्कों पर देवी के साथ में विदेशी विषाण (कार्नुकोपिया) है। समुद्रगुप्त के व्याघ्र निहत्ता भांति के सिक्कों पर उसके स्थान पर भारतीय कमल है फिर समुद्रगुप्त के सिक्कों पर देवी मकर पर खड़ी हैं जो एक भारतीय प्रतीक है और उसमें काच के सिक्कों की अपेक्षा, जिसमें देवी आसन पर खड़ी है अधिक मौलिकता है। इससे स्पष्ट है कि काच के सिक्के समुद्रगुप्त के सिक्कों से पहले के हैं।

2. काचगुप्त के चित ओर का अभिलेख काचो गावजित्य कर्मभिरुत्तमैर्दिवं जातयि समुद्रगुप्त के सिक्के के लेख 'अप्रतिहतो वित्रिच्य क्षितिं सचरितैदिवं जयति का शब्दान्वय मात्र है और यह इस बात का द्योतक है कि काच के सिक्के समुद्रगुप्त द्वारा प्रचलित किये गये थे। किन्तु यह तर्क उपस्थित करते समय यह भुला दिया गया है कि चन्द्रगुप्त (द्वितीय) के छत्र की भांति के सिक्कों पर भी छिंतवजित्य सुचरितै और कुमारगुप्त (प्रथम) के खड्गहस्त भांति पर गामवजित्य सुचरितै कुमारगुप्तों दिवं जयति है।

3. काचगुप्त के सिक्कों के पट की ओर मिलने वाले सर्वरात्रोच्छेता विरुद का प्रयोग परवर्ती गुप्त अभिलेखों में समुद्रगुप्त के लिए हुआ है, अतः ये सिक्के उसके ही हो सकते हैं।

किन्तु दृष्टव्य है कि समुद्रगुप्त के प्रायः अन्य सभी विरुद, जिनका कि उनके सिक्कों पर उल्लेख हुआ है किसी न किसी रूप में प्रयाग प्रशस्ति में देखे जा सकते हैं। इस सिक्के पर उपलब्ध सर्वराजोच्छेता विरुद की उसमें कहीं भी किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं है। हरिवेण ने समुद्रगुप्त को अनेक भ्रष्ट राजोत्सत्ता राजवंश प्रतिष्ठापक कहा है, उन्हें सर्वराजोच्छेता कहना उनके इस सत्कार्य के सर्वथा विपरीत होगा। समुद्रगुप्त ने अपने लिए कभी भी सर्वराजोच्छेता का प्रयोग न किया होगा। अतः ये सिक्के उनके कदापि नहीं हो सकते। दूसरी बात यह है कि इस विरुद का प्रयोग अकेले समुद्रगुप्त के लिए नहीं हुआ है।
चन्द्रगुप्त (द्वितीय) को भी प्रभावतो गुप्ता के पूना ताम्र शासन में सर्वराजोच्छेता कहा गया है।

4. गुप्त राजाओं के एक से अधिक नाम थे, सम्भव है कि समुद्रगुप्त का भी पहले काच नाम रहा हो किन्तु ऐसी स्थिति स्मरणीय है कि उन सभी राजाओं के, जिनके एक से अधिक नाम थे, सभी सिक्कों पर समान रूप से एक ही नाम का प्रयोग हुआ है। कोई कारण नहीं कि समुद्रगुप्त इस परम्परा का अपवाद हो और अपने अकेले एक ही प्रकार के सिक्कों पर अपरचित नाम दिया हो।

इसी प्रसंग में यह भी उल्लेखनीय है कि गुप्तों का राजलांछन बद्ध गरुड़ध्वज, वीणावादक, अश्वमेघ, अश्वारोही, सिंहनिहन्ता आदि असाधारण भांति के सिक्कों को छोड़कर अन्य सभी सिक्कों पर समुद्रगुप्त के समय से लेकर वंश के अन्तिम राजा तक समान रूप से सिक्के के स्वरूप का एक अभिन्न अंग है। किसी गुप्तवंशी शासक के सिक्कों का कोई ऐसा प्रकार नहीं है जिसके कुछ सिक्कों पर गरुड़ध्वज हो और कुछ पर न हो। चन्द्रगुप्त (प्रथम) के किसी सिक्के पर गरुड़ध्वज नहीं है, यही अवस्था ( बयाना दफीने के एक सिक्के को छोड़कर) काचगुप्त के सिक्कों की भी है। स्पष्ट है कि काच समुद्रगुप्त से पहले हुआ और चन्द्रगुप्त (प्रथम) के समान ही उसने पहले अपने सिक्कों पर गरुड़ध्वज का प्रयोग नहीं किया। पीछे चलकर उसने इसे अपनाया, जिसका प्रमाण बयाना दफीने में मिला सिक्का है और उसके बाद ही गरुड़ध्वज के प्रयोग का प्रचलन हुआ और बाद के सिक्कों का अभिन्न अंग बन गया।

इस प्रकार इन सिक्कों से निश्रित सिद्ध होता है कि समुद्रगुप्त के समानान्तर अथवा उससे कुछ पहले काच का एक शासक हुआ था। राखालदास बनर्जी ने उसके अस्तित्व को स्वीकार करते हुए उसकी पहचान समुद्रगुप्त के भाई के रूप में की है। साथ ही उनकी कल्पना यह भी थी कि वह कुषाणों के विरुद्ध किये गये स्वातन्त्र्य युद्ध में मारा गया। उसकी स्मृति में समुद्रगुप्त ने ये सिक्के प्रचलित किये। यह कल्पना अत्यन्त मौलिक है, किन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं, जो इस बात का संकेत दे कि समुद्रगुप्त का कोई भाई कुषाणों के विरुद्ध युद्ध करते हुए मारा गया था। फिर भारतीय परम्परा में स्मारक सिक्कों की कभी कोई प्रथा नहीं रही।

शिथोले (बी. एस.) की धारणा है कि इन सिक्कों का प्रचलन काचगुप्त वंश में न होकर कोई बाहरी घुसपैठिया का है। उनका कहना है कि तोरमाण और मुहम्मद गोरी सदृश आक्रामकों ने अपने विरोधियों के सिक्कों का अनुसरण किया था। इस प्रकार के अनेक उदाहरण भारतीय मुद्रातत्व में मिलते हैं। अतः असम्भव नहीं है कि जिन दिनों समुद्रगुप्त दक्षिण के अभियान में व्यस्त था, किसी प्रकार का विद्रोह उठा हो और कोई बाहरी घुसपैठा हो, किन्तु इस प्रकार की किसी कल्पना की आवश्यकता नहीं है। साहित्यिक सूत्रों से ज्ञात होता है कि उसके एक भाई ने ही गद्दी हड़पने की चेष्टा की थी।

समुद्रगुप्त और उसके काल के इतिहास की चर्चा करते हुए मंजूश्री मूल कल्प में कहा गया है कि उसका भस्म नामक एक भाई था, जिसने तीन वर्ष तक शासन किया था। यह वक्तव्य बहुत कुछ उलझा हुआ है। मंजूश्रीमूल्कल्प में भस्म को विस्तृत विजय का श्रेय दिया गया है। बहुत संम्भव है कि उपलब्ध ग्रन्थ में इस स्थल की कुछ मूल पंक्तियाँ अनुपलब्ध हों, जिसके कारण ही यह उलझन है। हो सकता है कि अनुपलब्ध पंक्तियों में चन्द्रगुप्त (द्वितीय) का नाम रहा हो। यह भी सम्भव है कि इसमें जिन विजयों का उल्लेख किया गया हो या उनका सम्बन्ध समुद्रगुप्त से हो और बीच में काच का उल्लेख है इसका सम्बन्ध समुद्रगुप्त के विजय अभियान के बीच उसके राज्याधिकार करने की चेष्टा को व्यक्त करने के लिये किया गया है, तथ्य जो भी रहा हो इतना तो स्पष्ट है कि लेखक को समुद्रगुप्त के एक भाई होने और उसके राज्य प्राप्त करने की चेष्टा करने और कुछ काल तक राज्य करने की बात ज्ञात थी।

यह घुसपैठिया भस्म और कोई नहीं काच ही था। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि काच और भस्म एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। आप्टे और मोनियर विलियम्स सदृश कोशाकारों ने काच का अर्थ क्षारीय भस्म (अलकलाइन ऐड्रोज) बताया है।

समुद्रगुप्त के इस घुसपैठी प्रतिद्वन्द्वी भाई के सम्बन्ध में और कुछ ज्ञात नहीं है। सम्भव है कि वह समुद्रगुप्त के असाधारण शौर्य से भयभीत होकर उसके सम्मुख नतमस्तक हो गया हो, यह भी सम्भव है कि वह समुद्रगुप्त के विरुद्ध युद्ध करता हुआ मारा गया हो।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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